Wednesday 12 November 2014

छत्तीसगढ़ में नसबंदी से 15 महिलाओं की मौत पर क्रूर अट्टहास



ड्रग माफ़िया और भ्रष्टाचार है मौतों का ज़िम्मेदार

नसबंदी से 15 महिलाओं की मौत पर छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल की अस्पताल परिसर में मुख्यमंत्री के सामने हँसना कोई छोटी मोटी बात नहीं है, ये इस भ्रष्ट चरमरायी लचर बदबूदार व्यवस्था का क्रूर अट्टहास है........हा हा हाsssss............!!!!

ये ऐलान है मंत्री महोदय का,
ये ऐलान है मंत्रीमहोदय की रक्षापंक्ति में सबसे आगे खड़े राज्य के मुख्यमंत्री का,
ये ऐलान है दवा आपूर्ति करने वाली कम्पनी के मालिक का,
ये ऐलान है इस भ्रष्ट व्यवस्था में शामिल हर इंसान का(जिन्हें इंसान कहने में मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही है),

की 

जिसको जो करना है कर ले, 
जितना चिल्लाना है चिल्ला लें, 
लेकिन ये व्यवस्था ऐसे ही चलेगी, 
संक्रमित दवा से गरीबों की आँखें फूटेंगी, 
गर्भाशय कैंसर के नाम पर डरा कर बिना जरुरत महिलाओं के गर्भाशय निकाले जायेंगे 
और रिकॉर्ड बनाये जायेंगे, 
आईएएस और आईएफएस अधिकारीयों को दवा खरीददारी की पूरी जिम्मेदारी पूर्ववत रहेगी 
ताकि मंत्री जी और उनके ऊपर के लोगों तक हिस्सा अबाध गति से पूर्ववत पहुँचता रहे.

नसबंदी काण्ड में पूरा दोष डॉक्टर पर डालने में लगी है राज्य सरकार। अगर सिर्फ किन्ही एक-दो डॉक्टरों की गलती है तो सभी अस्पतालों में कुछ दवाओं के उपयोग पर रोक क्यों लगा रही सरकार? 
और सिर्फ एक जगह के डॉक्टर दोषी है तो राज्य के बाकि अस्पतालों में नसबंदी पर रोक क्यों? 
ये इसलिये क्यों की दलाल मंत्री ने ऐसी ऐसी घटिया और फर्जी कम्पनियों से दवा खरीदी करवाई है 
की उसका हिसाब नहीं और जवाब भी नहीं।. (दवाओं का विस्तृत विवरण नीचे देखें)



नसबंदी शिविर में महिलाओं के ऑपरेशन के दौरान इस्तेमाल की गई छह विभिन्न औषधियों की प्रदेश के मेडिकल स्टोर्स में बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन छत्तीसगढ़ से आज रात यहां प्राप्त जानकारी के अनुसार गुणवत्ता संदिग्ध होने के कारण औषधि निरीक्षक बिलासपुर द्वारा इन दवाईयों के नमूने लिए गए हैं। इन नमूनों को जांच और विश्लेषण के लिए कोलकाता स्थित केन्द्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला को भेजा जा रहा है। नियंत्रक खाद्य और औषधि प्रशासन ने बैच नम्बर और निर्माताओं के नाम सहित इन दवाईयों की सूची जारी की है।

बैच नम्बरों की दवाईयों को विक्रय के लिए प्रतिबंधित किया गया है, उनमें (1) टेबलेट आईबुप्रोफेन 400 एमजी, बैच नम्बर टीटी-450413 निर्माता -मेसर्स टेक्नीकल लैब एण्ड फार्मा प्रा.लिमि. हरिद्वार, (2) टेबलेट सिप्रोसीन 500 एमजी, बैच नम्बर 14101सीडी, निर्माता-मेसर्स महावर फार्मा प्रा.लिमि. खम्हारडीह रायपुर (छत्तीसगढ़), (3) इंजेक्शन लिग्नोकेन एचसीएल आई.पी. बैच नम्बर-आर.एल.108, निर्माता-मेसर्स रिगेन लेबोरेटरीज हिसार (4) इंजेक्शन लिग्नोकेन एचसीएल आई.पी. बैच नम्बर-आर.एल.107, निर्माता-मेसर्स रिगेन लेबोरेटरीज हिसार,  (5) एब्जारबेंट कॉटन वुल आई.पी. बैच नम्बर-0033, निर्माता-मेसर्स हेम्पटन इंडस्ट्रीज, संजय नगर रायपुर (छत्तीसगढ़) और (6) जिलोन लोशन, बैच नम्बर जेई-179, निर्माता-मेसर्स जी. फार्मा 323, कलानी नगर, इंदौर (मध्यप्रदेश) शामिल हैं।


आम आदमी पार्टी ने पुरे छत्तीसगढ़ में नसबंदीसे हुयी मौतों पर सीधे मुख्य मंत्री रमन सिंह पर निशाना साधते हुए स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल को बर्ख़ास्त करने की मांग की है.

आप रायपुर ने काले कपड़े पहन कर जयस्तंभ चौक की परिक्रमा की, बैनर तख्तियों के साथ नारे लगाते हुए आप कार्यकर्ता शास्त्री चौक, शंकर नगर होते हुए तेलीबांधा पहुंचे, जहाँ अपने रोष को व्यक्त करने के साथ-साथ मृतकों की आत्मा की शान्ति के लिए मौन रैली निकाली तथा कैंडल जलाकर मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की.

“आप” ने कहा की 13 महिलाओं की मौत के बाद भी स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के चेहरे में कोई शिकन तो दूर, उलटे सिम्स में नर्सों से बात करते हुए श्री अग्रवाल हंसते हुए नजर आ रहे हैं, जिससे छत्तीसगढ़ की आम जनता के प्रति उनकी संवेदनहीनता स्पष्ट दिखाई देती है.

“आप” छत्तीसगढ़ के मिशन विस्तार समिति ने स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा दर्ज कर न्यायिक दण्ड निर्धारित करने की मांग करते हुए कहा की मुख्यमंत्री द्वारा अपने मंत्री की गलतियों पर बार बार पर्दा डालने क कोशिश स्वयं डॉक्टर रहे मुख्यमंत्री की वास्तविक नियत पर बड़ा सवालिया निशान लगाता है.

आम आदमी पार्टी के आर टी आई रिसर्च विंग ने विभाग के सम्बंधित डॉक्टरों एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों से बातचीत के बाद बताया की ये सारा मुद्दा दरअसल गैरतकनिकी IFS अधिकारी को दवा आपूर्ति की जिम्मेदारी देने से लेकर दवा सप्लाई में धांधली का परिणाम है. सूत्रों से पता चला है की इस नसबंदी कार्यक्रम में ऑपरेशन हेतु जो भी समान एवं दवाएं इस्तेमाल हुयीं उसकी सप्लायर वही कंपनी है जिसने पहले हो चुके आँखफोड़वा काण्ड में स्पिरिट की आपूर्ति की थी.

आम आदमी पार्टी ने अपने स्टेटमेंट में कहा है की हमारा लीगल सेल इस मुद्दे को लेकर वरिष्ठ वकीलों और पूर्व न्यायाधीशों के संपर्क में है, जरुरत पड़ने पर यदि सुप्रीम कोर्ट भी जाना पड़े तो पार्टी इसकी तैयारी कर रही है.

नैतिक जिम्मेदारी क्या होती है?
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अमर अग्रवाल का बचाव करते हुए कहा की स्वास्थ्य मंत्री ने ऑपरेशन नहीं किया था. उनके इस कथन पर आपत्ति दर्ज करते हुए आप ने पूछा है की जब बीजेपी किसी रेल दुर्घटना में रेलवे मंत्री का इस्तीफ़ा मांगती थी तो रेलगाड़ी मंत्री चलते थे?

स्वास्थ्य मंत्री के प्रसिद्द/बदनाम वक्तव्य/करतूत 
  • मंत्री का गैर जिम्‍मेदाराना बयान, पीलिया के लिए भगवान जिम्‍मेदार 
  • पीलिया भगवान की देन है
  • खानपान आपका गड़बड़ है तो बीमारियां होंगी... शासन कैसे और कहां दोषी है?
  • आंखफोड़वा कांड में भी पीडि़तों को नहीं देखा
  • इतने लोगों के ऑपरेशन में थोड़ी मोड़ी गड़बड़ी हो जाती है(आँखफोड़वा काण्ड पर)


स्वास्थ्य मंत्री का रिपोर्ट कार्ड
2011 बालोद मोतियाबिंद आपरेशन 48 लोगों अंधे
2012 दुर्ग में 12 और कवर्धा में 4 लोग अंधे 2011 12 में मरवाही पेंड्रा गौरेला में मलेरिया से 109 लोगो की मौत
2013 बागबाहरा में 6 लोग अंधे
2014 सकरी बिलासपुर नसबंदी 13 महिलाओं की मौत 
2014 में पेंड्रा गौरेला मरवाही में 14 लोगो की सर्प दंश से मौत।
2014 में गौरेला के सेनेटोरियम में 2 बैगा गर्भवती महिलाओ की जच्चा बच्चा सहित मौत। 

     और यही पर ही पिछले महीने कोतमि के एक युवक की उपचार के अभाव में मौत और मौत के बाद राजनीती।


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बिलासपुर के एक रिपोर्टर के मन की बात

इस समय बिलासपुर के जिला अस्पताल में बैठा हूँ। एक बच्चे की मां को ग्लूकोस के सहारे जीते देख रहा हूँ और बच्चे को रो रो कर दादी के हाथ से बॉटल बंद दूध पिते भी। सरकारी एम्बुलेंस में पत्नी की मौत पर एक पति को तुम कहाँ च
ली गई के रुदन के साथ सर पटकता देख रहा हूँ। एक कभी न ख़त्म होने वाले जाँच के सदस्यों को डॉक्टरों के साथ गंभीर मुद्रा में बात करने का अभिनय देख रहा हूँ। कुछ परिजनों के चेहरे पर आने वाले काल का भय देख रहा हूँ। 7 महिलाओं को चिरघर के स्ट्रेचर पर अपने विच्छेदन का इंतजार करता देख रहा हूँ। और परिजनों को पन्नी बोरी और सुतली का इंतजाम करता देख रहा हूँ। किसी को फोन पर अर्थी के लिए लकड़ी जुटाने केले पत्ते और कच्चे बांस की सीढ़ी बनाने का निर्देश देता सुन रहा हूँ। नहीं नहीं मैं क्या क्या सोंच रहा हूँ। 

असल में मैं तो सकरी के सरकारी नसबंदी कैम्प में 7 महिलाओं की मौत की खबर कवर कर रहा हूँ। 

मेरा मन मंत्री जी से कहना चाहता है ,
जिनकी मौत हुई उनमे कितनी माताएं ऐसी थी जिनके दुधमुँहे बच्चे हैं। जिनकी माताओं ने अभी दूध भी नहीं छुड़ाया है ।

मंत्री जी सरकारी 1 लाख 2 लाख से पैकेट दुध मिल जाएगा । मगर मां का पवित्र वक्ष और बहती जीवनदायिनी दुग्ध धारा कहाँ से लाओगे।

उनके बच्चों पर क्या बीतेगी जो कभी मां होने का अहसास भी नहीं कर पाएंगे। 
उस पिता पर क्या बीतेगी जिसकी गोद में बच्चा होगा और एक हाथ में मुखाग्नि की जलती लकड़ी । 
चिता की आग में एक माँ का शरीर भर नहीं जलेगा, किसी बच्चे के माँ का दुलार। ममता का आँचल। 
सुधार की फटकार माथे का चुम्मा। 
नजर का टिका। 
ममता के आंसू सब घी का काम नहीं करेंगे चिता में।खैर क्या लिखना अब लाल बहादुर का जमाना नहीं रहा की ट्रेन दुर्घटना तक की नैतिक जिम्मेदारी और इस्तीफा होता हो।
अमर अग्रवाल स्वास्थय मंत्री इन्हें कांड कहने से कतराते हैं। उनके लिए ये सब मानवीय चूक होती है। 
स्वास्थ्य मंत्री की बेशर्म बयानबाजी, इस्तीफा देकर गलती सुधारने की 0 % सम्भावना पर भी खंजर चला देती है।
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आवाज नहीं शब्द..(गणेश तिवारी जी से साभार)
'नसबंदी डॉक्टर करता है, न कि स्वास्थ्य मंत्री'

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री कहते हैं - 'नसबंदी डॉक्टर करता है न कि स्वास्थ्य मंत्री इसलिए इस घटना के लिए स्वास्थ्य मंत्री को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।'

लेकिन ये कहना भूल जाते हैं कि घटिया उपकरणों की खरीदी,फर्जी नकली दवाओं की खरीदी, जो किडनी को फेल कर जानले ले, उसे डाक्टर नहीं खरीदते. सरकारी अस्पतालों में तमाम असुविधाओं की जिम्मेदारी किसकी है? इस पर सीएम नहीं कहते. भाजपा छाप डाक्टरों ने स्वास्थ्य अमले में आतंक मचा रखा है, जिला अस्पताल सिर्फ मरीज रूपी मुर्गा पकड़ने का अड्डा बन गया है, जिसका इलाज
उन्ही सरकारी डाक्टरों के आलीशान नर्सिंग होम में होता है, इस पर हमारे मुख्यमंत्री कुछ नहीं कहते? भाजपाई एनजीओ सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रमों का करोड़ों रूपए हजम कर वैभव-विलास का जीवन जीते हैं, इस पर मुख्यमंत्री कुछ नहीं कहते? सब जानते हैं स्वास्थ्य मंत्री ने डाक्टरी नहीं पढ़ी है, केवल कैंसर की बीमारी का जिम्मेदार 'गुड़ाखू' ही बनाया और बेचा है, वे भला आपरेशन कैसे कर
सकते हैं?

पढ़िए नीचे उनकी तारीफ़..;
ये तोता छाप गुड़ाखु है, इसे नशे के लिए दांत पर घिसा जाता है . 
इस के प्रयोग से कैंसर हो जाता है .
तोता छाप गुड़ाखु छत्तीसगढ़ में सबसे ज़्यादा बिकने वाला गुड़ाखु है .
रायगढ़ जिले में बने नए मेडिकल कालेज का नाम इस कैंसर की जड़ गुड़ाखु के व्यापार के संस्थापक लखीराम अग्रवाल के नाम पर रखा गया है .

तोता छाप गुड़ाखु के इस्तेमाल से छत्तीसगढ़ में लाखों लोग कैंसर की चपेट में आ चुके हैं .
लखीराम अग्रवाल इस ज़हर रूपी गुड़ाखु को छत्तीसगढ़ के घर घर तक पहुचने वाले के रूप में पहचाने जाते है .
इसी मौत के सौदागर लखीराम अग्रवाल को भाजपा ने अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया था .
स्वर्गीय लखीराम अग्रवाल छत्तीसगढ़ के वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल के पिता थे .
अब इस गुड़ाखु फैक्ट्री के मालिक छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल हैं .

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री रमण सिंह जी का कहना है कि श्री अमर अग्रवाल स्वास्थ्य मंत्री हैं और स्वास्थ्यमंत्री ऑपरेशन नहीं करता..

सच है माननीय.आदरणीय गुड़ाखू बेचते हैं, जिसकी डिब्बी पर
केंसर का प्रतीक बना होता है.

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स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल का इतिहास

"कैसे छत्तीसगढ़ में इन्होने फैलाया अपना जाल?" और "गुड़ाखू क्या है"
के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें ..........
साभार : http://ghotul.blogspot.in/2014/01/blog-post_13.html
                      छत्तीसगढ के अधिकांश ग्रामीण ईलाकों में महिला और पुरुषों  के बीच उपयोग जाने वाला गुडाखु की सच्चाई... जानिये.. दोस्तॉं । गुड़ाखू की फैक्ट्री यहाँ हरियाणा से आयी । तोता छाप गूडाखू कंपनी की शुरुवात खरसिया मे हुई ...बाद मे बिलासपुर मे भी इसकी एक फैक्टरी लगाई गयी... आज अधिकांश लोग खरसिया का गुडाखू उपयोग करना पसंद करते है...सच है कि नही...? इसे बनाने के लिए सड़े हुए गुड़ और तम्बाकू को मिलाया  जाता है । बाद में डिबिया में भर कर मंजन के रूप में बेचा जाता है । मिलाने के किये पहले मजदूरों का प्रयोग किया जाता था , जो पैर से मसल कर इसका पेस्ट बनाते थे ।  .इस गुड़ाखु को करने से नशा हो जाता है । धीरे धीरे ग्रामीण लोग इस गुड़ाखु के आदी हो गये । कई लोग इसे दिन में बीस- बीस बार करते हैं । .इससे कैंसर , और अन्य कई भयानक रोग हो जाते हैं . लाखों लोग इस बीमारी से मर गये . हजारों परिवार इस गुड़ाखु की लत से तबाह हो चुके हैं ।
   
                   खरसिया गूडाखू फैक्टरी की स्थापना सबसे पहले हरियाणा से थीम लेकर खरसिया मे लखीराम के बडे भाई स्व. गजानंद अग्रवाल समेत ७ भाईयों ने की थी । शुरू में इसके प्रचार- प्रसार के लिए छत्तीसगढ़ी नाचा "गम्मत " का प्रयोग किया .... लोगों को मुफ्त सेम्पल बांटे .... फिर आदी बनाया .... खूब कमाया ... कमाई से राजनीति शुरू की .. आगे चलकर बांटवारे में खरसिया की फैक्टरी बडे भाई स्व. गजानन अग्रवाल और अन्य भाईयो के हिस्से मे आयी.. और  लखीराम अग्रवाल व बेटे अमर अग्रवाल ने बिलासपुर मे जाकर इसकी दूसरी कंपनी खोली । लखीराम और उनके बेटे ने बंटवारे में भाजपा को कब्ज़ा लिया ... वहीँ आज खरसिया फैकटरी के मालिक स्व. गजानन अग्रवाल के दो बेटे मुरली अग्रवाल व अशोक अग्रवाल कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता है..  अशोक अग्रवाल आदरणीय चरणदास महंत के कट्टर समर्थक है वही दूसरी ओर  मूरली अग्रवाल माननीय अजीत जोगी के खासमखास है ..। यही राजनीती है  भाई  ..।
                 लखीराम अग्रवाल कभी चुनाव नहीं जीत पाए । मगर गुड़ाखू के धंधे के कारण उनके पास अथाह पैसा था ,  फिर बाद में छत्तीसगढ़िया लोगों की खून-पसीने की कमाई को गुड़ाखू का लत लगाकर लुटे गए इन्ही पैसों से वे समाजसेवी भी कहलाने लगे । राजनीति में उनकी शुरुवात किसी आंदोलन से नहीं बल्कि चन्दा देने की क्षमता से ही हुई थी । भाजपा के सबसे बड़े चन्दा दाता वही थे, अतः वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वैसे ही बन गए थे जैसे कि अभी हाल में गडकरी राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे । मगर फिर भी लखीराम अग्रवाल कभी चुनाव नहीं जीत पाए अन्त में हार कर भाजपा ने लखीराम अग्रवाल को राज्यसभा में भेज दिया, जैसे कांग्रेस ने अपने सबसे बड़े चन्दा दाता जिंदल को राज्य सभा भेजा था । लखीराम राम का बेटा अमर अग्रवाल स्वास्थ्य मंत्री है । ये भाजपा के पिछले कार्यकाल में भी स्वास्थ्य मंत्री रहें है, ये चिकित्सक नही  रहे  , स्वास्थ्य लाभ का कोई काम नहीं जानते , फिर भी ये फिर से स्वास्थ्य मंत्री बन गए है ॥ जैसे कि इन्होने परमानेन्ट पट्टा ले रखा है इस मंत्रालय का । हाँ  इनका पूरा जीवन स्वास्थ्य खराब करने का सामान गुड़ाखू  बेचने की फैक्ट्री चलाने में बीता है । जब लखीराम जी थे , तब गुडाखू सबसे ज्यादा जांजगीर , रायगढ़ , कोरबा , बिलासपुर और समीपवर्ती उड़ीसा में ही ज्यादा बिकता था , पर अब अमर अग्रवाल के प्रदेश सरकार  में मंत्री बनने के बाद यह नशा " राज्य नशा " का रूप ले चुका है  । अब प्रदेश के सभी स्थानों के आलावा पडोसी राज्यों में भी छत्तीसगढ़ का पहचान बन गया है ।

               पिछले साल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने रायगढ़ जिले में मेडिकल कालेज का उद्घाटन किया है । मेडिकल कालेज का नाम भाजपा ने अपनी पार्टी के अमीर नेता स्वर्गीय लखीराम अग्रवाल के नाम पर रखा गया है ।  लोगों के स्वास्थ्य को बरबाद करने वाले के नाम पर मेडिकल कालेज का नामकरण छत्तीसगढ़ के लोगों का अपमान नहीं है क्या ?

                भाजपा सरकार ने गुटके पर प्रतिबंध लगा दिया परन्तु गुडाखू पर नही लगाया । जबकि छत्तीसगढ़ में कैंसर मे बढ़ोत्तरी का सबसे बड़ा कारण गुड़ाखू है छत्तीसगढ़ियों का स्वास्थ्य ख़राब करने वाला स्वास्थ्य मंत्री को लेकर कांग्रेस ने कभी बिरोध नहीं दर्शाया । छत्तीसगढ़ियों के हित से इस कार्यकाल में भी बेपरवाह कांग्रेस हो गयी है कांग्रेस ।

                    प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार व फोटोग्राफर गोकुल सोनी जी बताते है कि मुझे भी याद है जब अर्जुनसिंह जी मुख्यमंत्री थे तो लखीराम जी उनके किसी बात का काफी विरोध कर रहे थे तो अर्जुनसिंह जी ने दो टूक कह दिया कि मैं मध्यप्रदेश में गुडाखू को बेन करने वाला हूं। .....लखीराम जी शांत हो गये उन्होने विरोध करना बंद कर दिया।

     राज कुमार चुन्नी शर्मा जी बताते है कि  गुड़ाखू जो सड़ी हुई गुड व तम्बाखू से  दुनिया के सबसे अनहाईजनिक तरीके से बनाई जाती है .,  का मानव स्वास्थ पर बेहद घातक असर होता है ॥ फिर गुड़ाखू चाहे तोता छाप हो चाहे मैना छाप ...?? हमारे प्रदेश  मे पिछले दो दशको मे इसका प्रचलन खूब बड़ा है ..... यह व्यपारीयोंओ के लिए मोटी कमाई का जरिया है किन्तु इसका प्रयोग करने वालो के लिए यह एक ऐसी अंतहीन इच्छा बन जाती है जिसके मायाजाल से निकलना बेहद कठिन है ॥ इसके प्रयोग से मुंह के कैंसर की संभावना 40% तक बढ़  जाती है ... यह मानव को निर्बल कमजोर कामचोर आलसी उतेज्ज्क और नपुन्सक बनाता है ...! इसके उपयोग से टीबी ... अल्सर ...पायरीया जैसी अनेक बीमारिया होती है ...छ ग मे मुह और पेट के कैंसर की दर मे लगातार बढ़ोत्तरी का सबसे बड़ा कारण गुड़ाखू ही है |  द्वारा  पोस्ट किया गया

Sunday 18 May 2014

हाँ, हम हारे....





सबसे पहले मैं स्वीकार करता हूँ की हम हारे, और बुरी कदर हारे. सबसे पहले ये स्वीकार करना इसलिए जरुरी है ताकि फिर कोई ये ना कहे की बहाने बनाये जा रहे हैं.

“आम आदमी पार्टी” की शायद इतनी आलोचना लोग इसीलिए करते हैं क्यों की सिर्फ ये एक पार्टी है जिस से लोगों की अन्य राजनितिक पार्टियों से बहुत ही अलग किस्म की और बहुत ऊँची अपेक्षाएं हैं. “आम आदमी पार्टी” अधिकतर पढ़े लिखे जागरूक कुछ देशभक्त भारतीयों का समूह है जो स्वराज प्राप्ति की क्रांति के पथ पर चलते हुए आन्दोलनों से होता हुआ एक राजनितिक दल बन गया है. हमने बहुत से अच्छे लोगों को पार्टी से जोड़ा, अलग-अलग क्षेत्रों के पुरोधाओं, भगत सिंह, शास्त्री जी से लेकर विक्रम बत्रा के परिवार से लोगों को साथ लिया. लोकसभा चुनाव लड़ा और 443 में से सिर्फ 4 जीत पाए.

लेकिन क्या सिर्फ चुनाव जीतना हमारा लक्ष्य था ? यदि ऐसा होता तो अरविन्द जी और कुमार विश्वास दिल्ली की किसी सीट से लड़ रहे होते. लेकिन क्या जीतना महत्वपूर्ण नहीं था? बिलकुल था, और हम चाहते थे की हम जीतें, लेकिन जनता ने शायद हमें इस ओर अनवरत कार्य करते रहने कहा और वर्तमान जिम्मेदारी किसी और को दी.

जीत हार की विवेचना को अधीर कुछ साथी दिल्ली विधानसभा को लेकर लिए निर्णय, उमीदवार चयन, संगठन में पुराने-नए कार्यकर्त्ता आदि कारण गिना रहे हैं. मैं ये नहीं कहता की कहीं कोई भी चूक नहीं हुयी होगी, बिलकुल हुयी होगी, पर हमारे इरादों पर कभी कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगा और ना लगेगा. जैसा हमारे योगेन्द्र जी कहते हैं की हमारी “समझदारी” में चूक हो सकती है, हमारी “इमानदारी” में नहीं.

मैं सिर्फ ये पूछना चाहता हूँ की कुछ उम्मीदवार अगर कोई और लोग होते तो क्या परिणाम में आमूलचूल बदलाव आ जाता? संगठन में किसी एक की जगह दूसरे को जिम्मेवारी देने से परिणाम एकदम बदल जाते? रही बात सुधार की तो इसकी गुंजाईश हमेशा रहती है और हम सब मिलकर इस ओर कार्य करते रहेंगे.

राजनीती में आने से पहले हमें अच्छी तरह से पता था की वर्तमान राजनीती एक कीचड़ है, और उल-जुलूल आरोप लगेंगे ही क्यों की हम बहुत से भ्रष्ट लोगों के पेट पर लात मारने जा रहे हैं.ये बताने की जरुरत नहीं की इतनी पारदर्शिता और इमानदारी से काम करने के बाद भी हमें लेकर कैसे कैसे दुष्प्रचार और हथकंडों का इस्तेमाल किया गया.

पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन और भ्रष्टाचार के खिलाफ़ धर्मयुद्ध की इस कठिन डगर में क्या हमसे कोई गलती नहीं हुयी? बिलकुल हुयी होगी, स्वाभाविक है, इस राह पर हम नए हैं, अधिकतर युवा हैं तो उर्जा के साथ अधीरता भी हैं, हमें आज और अभी परिणाम चाहिए होता है और इसीलिए हम पिछले वर्ष में ही काफी कुछ हासिल कर भी पाए. हमने राजनीती की दशा और दिशा दोनों बदलनी प्रारंभ कर दी. अपनी गलतियों से हम जल्दी से सीखकर तुरंत दुगुनी उर्जा से आगे बढ़ेंगे क्यों की हमारी सफलता-असफलता हमारी अधीरता को कम नहीं कर सकता, हमें स्वराज चाहिए, पूर्ण स्वराज.
-          सदैव “आप” का, संदीप तिवारी